K V Pragati Vihar Shift-1 Primary Wing International Mother's Day Celebration under CCA
Mother's Day is celebrated all around the world. It seems to be a universal thing that cultures put a day aside each year to celebrate the act of motherhood. To pay tribute both to the miracle of birth and to the special woman who performed that miracle: your mother.
The second Sunday of May is celebrated as Mother's Day in India. This year it was celebrated on Sunday, May 8. On this day we thank our mothers, and express our love and gratitude to them, although in different places the day is celebrated on different dates.
No one can ever replace her at any cost. “Youth fades; love droops, the leaves of friendship fall; a mother's secret hope outlives them all,” a famous quote by Oliver Wendell Holmes sums up the eternal significance of a mother.
A mother's efforts should be recognised and appreciated every day, even when it is not Mother's Day.
अंश जब मेरा तुझमें आया ,मन तेरा भी हर्षाया था ना माँ
बेटी की आस में ,तूने भी हाथ फैलाया था ना माँ
रुई से हाथों से ,मुझे " यूँ "फक्र से उठाया था ना माँ
किलकारी भरे आँचल में हंसकर मुझे छिपाया था ना माँ
अपनी लोरी में हर रात इक नयी परी को बुलाया था ना माँ
पहली नज़र में तूने मुझे अपना सब कुछ बनाया था ना माँ
गोद में मुझे उठाकर तूने भी खुद को पूर्ण पाया था ना माँ
मुझे तू मिली ,तुझे भी तो ममता का तमगा भाया था ना माँ
बेटी सुनकर खुद को बहुत किस्मत वाली बुलाया था ना माँ
अपनी परछाई को थामे मन तेरा भी इतराया था ना माँ
रुनझुन छुन छुन मैं चली ,तूने भी ठुमका लगाया था ना माँ
तुतलाती मेरी बातें सुन गला तेरा भी भर आया था ना माँ
अपनी हर कहानी में तूने मुझे राजकुमारी बनाया था न माँ
हर चोट को मेरी तूने आंसू से फूँक कर धुलाया था ना माँ
गिर गिर के उठना तूने ही तो हर रोज़ सिखाया था ना माँ
मेरी नादानियों में चुप्पी का चांटा जोर से लगाया था ना माँ
संस्कारों में लिपटे रहना ,सदा तूने ही रटाया था न माँ
ख्वाइशों को मेरी, दुपट्टे से पोंछ कर रोज़ नया बनाया था न माँ
कोशिशों में दरारें गिना कर ,मुझे बेहतर बनाया था ना माँ
मेरे शौक को अपना बताकर ,आँखों में सजाया था ना माँ
मेरी नाकामी को ,सर से वार कर दूर फिकवाया था न माँ
मेरी ज़िन्दगी में ,दुआओं से लदा पौंधा लगाया था ना माँ
मेरे हर रूप में तूने हर बार अपना प्रतिरूप पाया था ना माँ
कल्पना पांडे